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Tuesday, 2 June 2020

वास्तु और रोग-



सुनने और पढ़ने में यह अजीब जरूर लग सकता है, कि किस तरह से वास्तु शास्त्र हमारे घर को पवित्र ही नहीं बल्कि हमारे स्वास्थ्य को भी अच्छा बनाता है। लेकिन आप चौंकिए मत यह बिल्कुल ही सच बात है कि जब हम वास्तु शास्त्र के जरिए जीवन की हजारों समस्या चुटकी में ठीक कर सकते हैं तो शारीरिक पीड़ा और रोगों को क्यों नहीं ठीक कर सकते?

वास्तु के द्वारा कोई औषधि नहीं बनाई गई जिससे किसी व्यक्ति का या उसके रोग ही किए जा सके लेकिन वास्तु शास्त्र में इतनी ताकत है कि यह व्यक्ति को उसके घर में ही एक ऐसा वातावरण सजा के देगा जिसके जरिए किसी भी व्यक्ति को विभिन्न तरह की शारीरिक और मानसिक परेशानियों से आसानी से छुटकारा मिल सकता है या इस तरह की परेशानियां होने से व्यक्ति अपने आप का बचाव आसानी से कर सकता है, वास्तु की सहायता से।

वास्तु के अनुसार यदि कोई व्यक्ति अपने घर में निवास करता है तो वह समस्त बाधाएं समाप्त करने की क्षमता रखता है। वास्तु शास्त्र प्राचीन वैज्ञानिक शैली है वास्तु विज्ञान सम्मत तो है ही, इसी के साथ ही वास्तु का संबंध विभिन्न ग्रह नक्षत्रों और ग्रहों के शुभ और अशुभ प्रभाव से भी जुड़ा हुआ है।

मनुष्य का शरीर पांच तत्वों से मिलकर बना है पृथ्वी, जल, आकाश, वायु और अग्नि और यही पांचों तत्व हमारे घर में भी मौजूद होते हैं जो हमारे शारीरिक प्रक्रिया को सही रखने में सहायता भी प्रदान करते हैं।

वास्तु शास्त्र ना केवल आपके घर में शांति और समृद्धि बढ़ाता है बल्कि यह आपके जीवन में शारीरिक सुख और मानसिक सुख की वृद्धि भी करता है। वास्तु विषय में दिशाओं एवं पांच तत्व का अत्यधिक महत्व होता है। किसी भी घर के निर्माण में वास्तु के सिद्धांतों के अनुरूप घर बनाने से उस स्थान पर निवास करने वालों को प्राकृतिक एवं चुंबकीय ऊर्जा शक्ति एवं सूर्य की शुभ एवं स्वास्थ्यपद रोशनी का शुभ प्रभाव प्राप्त होता है।

यही नहीं यह आपके घर में शुभ एवं सकारात्मक प्रभाव भी डालता है ऐसी जगह पर निवास करने वालों के सोच विचार एवं कार्यशैली को विकासवादी बनने में भी सहायता प्राप्त होती है जिससे मनुष्य की जीवन शैली स्वस्थ एवं प्रसन्नचित्त रहती है।

आज हम आपको बताएंगे कि किस प्रकार अपने घर में वास्तु अपनाने से आप कई प्रकार के रोगों और बीमारियों से छुटकारा पा सकते हैं और उन्हें अपने घर में प्रवेश करने से रोक भी सकते हैं।

- यदि आपके घर में कोई दमा से पीड़ित है तो अपने बैठक कक्ष की पश्चिमी दीवार पर पेंडुलम वाली सफेद या सुनहरी पीले रंग की दीवार घड़ी लगानी चाहिए।

- यदि घर में किसी को दिमागी रोग या मिर्गी जैसी कोई बीमारी है तो उत्तर-पश्चिम, दक्षिण-पश्चिम, पश्चिम या दक्षिण दिशा में अपना शयनकक्ष बनाकर वहीं सोना चाहिए।

- किसी भी रोगी को अपना शयनकक्ष उत्तर पूर्व दिशा में नहीं पढ़ाना चाहिए यह विभिन्न प्रकार की अशांति चिंता और बीमारियों को आसरा देता है।

- यदि आपके घर में किसी व्यक्ति को उच्च रक्तचाप या मधुमेह से संबंधित बीमारी है तो आप अपने भवन के बीच के स्थान में कोई लोहे का जालिया बेकार का सामान ना रखें। अपने घर की उत्तर पूर्व दिशा में नीले फूल वाला पौधा भी लगा सकते हैं।

- यदि जोड़ों के दर्द की समस्या हो तो आपके घर की दीवारें दरारों से भरी ना होनी चाहिए या तो आप उन पर कवर या प्लास्टर करवा दें ताकि यह दीवारें नजर आने से बचे या फिर उसके ऊपर आप तस्वीर है या पोस्टर भी लगा सकते हैं।

- हृदय रोग समस्या से संबंधित वास्तु नियम यह कहता है कि सुबह उठने के बाद अपने सोने वाले पलंग की तरफ तीन चार बार दाएं हाथ से हल्का सा थपथपाएं। सोने वाले कमरे की उत्तर दीवार पर क्रिस्टल गोला टांग दें।

- अपने शयनकक्ष में भूलकर भी खाना ना खाएं यह बीमारियों को और बढ़ा सकता है।

- मिट्टी के घड़े के पानी का इस्तेमाल आप कर सकते हैं तथा घड़े में प्रतिदिन 7 तुलसी के पत्ते डालकर उपयोग करें जिससे तुलसी के द्वारा आपका स्वास्थ्य बरकरार रहेगा।

वास्तु से संबंधित और गहरी जानकारी हेतु आप भी वास्तुशास्त्र सीख सकते हैं, वह भी बड़ी आसानी से इंस्टिट्यूट ऑफ वैदिक एस्ट्रोलॉजी के पत्राचार पाठ्यक्रम के जरिए आप अपने घर बैठे वास्तु सीख कर अपने घर में स्वयं के चिकित्सक बन सकते हैं।



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